जानिए शर्मीष्ठा की ‘इंस्टा-क्रांति’ को झटका – कोर्ट पहुंची ‘फ्री स्पीच’ की रानी

शालिनी तिवारी
शालिनी तिवारी

गुरुग्राम की 22 वर्षीय इन्फ्लुएंसर शर्मीष्ठा पनौली, जिनकी फैन फॉलोइंग लाखों में है, कोलकाता पुलिस की गिरफ्त में आ गईं। वजह? एक ऐसा इंस्टा वीडियो जिसमें उन्होंने इस्लाम और पैगंबर मोहम्मद पर कथित विवादित टिप्पणियाँ कीं। वीडियो तो हट गया, लेकिन बवाल नहीं थमा!

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वायरल वीडियो और कट्टरपंथ का जवाब

बताया जाता है कि यह वीडियो “ऑपरेशन सिंदूर” में पाकिस्तानी आतंकवादियों की धमकियों पर पलटवार था। पनौली ने शायद सोचा होगा कि सोशल मीडिया पर दो बातें सुनाकर देशभक्ति जताना ठीक रहेगा, लेकिन यह दांव उल्टा पड़ गया। कुछ यूज़र्स ने इसे धार्मिक भावनाओं पर हमला करार दिया और #ArrestSharmistha ट्रेंड करने लगा।

माफ़ी मांगी, पर बवाल थमा नहीं

वीडियो हटाने और X पर माफ़ीनामा लिखने के बावजूद पनौली की मुश्किलें खत्म नहीं हुईं। उन्होंने कहा, “अगर किसी को ठेस पहुंची तो माफ़ी,” लेकिन पुलिस ने इसे वैमनस्य फैलाने वाला करार देकर गिरफ्तारी का फरमान जारी कर दिया।

कोलकाता पुलिस का एक्शन और कोर्ट का रुख

कोलकाता पुलिस ने नोटिस भेजे, पर पनौली और उनके परिवार ने गायब होने का हुनर दिखाया। अंत में गुरुग्राम से गिरफ्तारी हुई और कोर्ट ने 13 जून तक जेल में भेज दिया। उनके मोबाइल और लैपटॉप की फॉरेंसिक जांच होगी। वकील ने दलील दी कि ये सब “फ्री स्पीच” की लड़ाई है, पर कोर्ट ने कोई रियायत नहीं दी।

राजनीतिक तूफान और सोशल मीडिया संग्राम

शर्मीष्ठा की गिरफ्तारी ने राजनीतिक दलों और सोशल मीडिया को दो धड़ों में बाँट दिया। भाजपा नेताओं और कंगना रनौत ने “अभिव्यक्ति की आज़ादी” की दुहाई दी। वहीं AIMIM और सपा नेताओं ने धार्मिक भावनाओं के उल्लंघन पर सख्त कानून की मांग की। नीदरलैंड के नेता गीर्ट वाइल्डर्स तक मैदान में कूद पड़े और इसे “फ्री स्पीच पर धब्बा” करार दिया।

क्या सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स के लिए खतरे की घंटी?

पनौली की गिरफ्तारी ने उस बहस को फिर से गरमा दिया है कि क्या सरकार या ताकतवर वर्ग सोशल मीडिया की स्वतंत्रता पर शिकंजा कस रहा है? उनके समर्थकों का आरोप है कि यह चयनात्मक न्याय है, और खासकर उन पर निशाना साधा जाता है जो राष्ट्रवादी या विवादास्पद मुद्दों पर बोलते हैं।

सिम्बायोसिस लॉ स्कूल का नया ‘सिलेबस’: निलंबन

पनौली के कॉलेज ने भी मामले में तगड़ा पाठ पढ़ा दिया। उन्हें तीन महीने के लिए निलंबित कर दिया गया। अब ये बहस छिड़ गई है कि क्या छात्रों को सोशल मीडिया पर राय रखने का हक नहीं?

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